गोपाष्टमी 2022 त्योहार का महत्व, पूजा विधि और कथा जानिए

गोपाष्टमी 2022 त्योहार का महत्व, पूजा विधि और कथा जानिए

गोपाष्टमी का त्योहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस साल गोपाष्टमी का त्योहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस त्योहार की सबसे ज्यादा धूमधाम मथुरा, वृंदावन और अन्य ब्रज क्षेत्रों में होती है। एक बार भगवान इंद्र ने क्रोधित होकर ब्रज में बड़े जोर की बारिश शुरू हो गई। उनके क्रोध से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठा लिया था। इसके बाद भगवान कृष्ण से अपनी हार स्वीकार करते हुए सात दिनों बाद इंद्र ने बरसात बंद कर दी थी।

गोपाष्टमी की तिथि

गोपाष्टमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। अगर आपके जीवन में किसी तरह की समस्या है, और आप उसका समाधान करना चाहते हैं, तो आप गोपाष्टमी के दिन भगवान विष्णु की वैदिक पंडितों द्वारा पूजा करवा सकते हैं। पूजा कराने के लिए आप हमारे वैदिक पंडितों से संपर्क कर सकते हैं। पूजा कराने के लिए यहां क्लिक करें..

गोपाष्टमी 1 नवंबर 2022, दिन मंगलवार
अष्टमी तिथि शुरु1 नवम्बर 2022 को सुबह 01 बजकर 11 मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त01 नवम्बर 2022 को सुबह 11 बजकर 04 मिनट

गोपाष्टमी का महत्व

गोपाष्टमी का दिन ब्रजवासियों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। गोपाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण और श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से भक्तों को मन की शांति और धनलाभ होता है। गोपाष्टमी के इस पवित्र दिन पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है। इसके बाद उनकी संपूर्ण विधि विधान से पूजा की जाती है। गाय और बछड़ों की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है, जिस तरह महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी के दिन की जाती है।

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी

पुराणों में उल्लेखित प्रसंग के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को भगवान इंद्र को दी जाने वाली वार्षिक भेंट देने से मना दिया। भगवान इंद्र को जब इस बात का पता चला, तो वह भगवान कृष्ण से काफी नाराज हो गए। आवेश में आकर भगवान इंद्र ने ब्रज में भयानक बारिश करने का फैसला लिया। इसके बाद ब्रज में भयानक बारिश शुरू हो गई। ब्रज वासियों और अपने पशुओं को भगवान इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया और उसके नीचे सभी को सुरक्षित कर लिया। जब सात दिनों बाद भी इंद्र के प्रकोप पर किसी का कोई असर नहीं हुआ, तो इंद्र ने हार अपनी हार मान ली, और बारिश रोक दी। इस दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी। तभी से गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

गोपाष्टमी पूजा विधि

पवित्र त्योहार गोपाष्टमी के गौमाता को साफ पानी से स्नान करवाना चाहिए। इसके बाद रोली और चंदन से उन्हें तिलक लगाना प्रमाण करना चाहिए। साथ ही पुष्प पुष्प, अक्षत्, धूप का अर्पण करें। पूजा के बाद ग्लवों को दान दक्षिणा देकर उनका आदर पूर्वक सम्मान और पूजन करें। इस प्रक्रिया के बाद में पूजा के लिए बनाया हुआ प्रसाद गौमाता को खिलाए और उनकी परिक्रमा करें। इस तरह गौमाता की पूजा करने से आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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